दाद, खाज और खुजली को दूर करने के रामबाण उपाय जरुर अजमा कर देखे
त्वचा पर खुजली चलने, दाद हो जाने, फोड़े-फुंसी हो जाने पर खुजा-खुजाकर हाल, बेहाल हो जाता है और लोगों के सामने शर्म भी आती है। यदि आप कोई क्रीम या दवा लगाना न चाहें या लगाने पर भी आराम न हो तो घर पर ही यह चर्म रोगनाशक तेल बनाकर लगाएँ, इससे यह व्याधियाँ दूर हो जाती हैं।
दाद का इन्फेक्शन बहुत ख़राब फंगल इन्फेक्शन होता है। अगर आपको ये इन्फेक्शन है तो आप अपने शरीर के किसी भी हिस्से पर लाल गोल निशान देख सकते हैं। ये बहुत तेज़ी से फेलता है जिस जगह पर हुआ है उसके आस पास की जगह पर भी फैलने लगता है।
इसका इन्फेक्शन ज्यादा बढ़ने पर आप शरीर पर उभार और फुंसियाँ भी देख सकते हैं।
आज हम आपको दाद खाज को दूर करने के कुछ उपायों के बारे में बताने जा रहे है.
तेल बनाने की विधि :-
नीम की छाल, चिरायता, हल्दी, लाल चन्दन, हरड़, बहेड़ा, आँवला और अड़ूसे के पत्ते, सब समान मात्रा में। तिल्ली का तेल आवश्यक मात्रा में। सब आठों द्रव्यों को 5-6 घंटे तक पानी में भिगोकर निकाल लें और पीसकर कल्क (लुगदी) बना लें।
इसके बाद (लुगदी) पीठी से चार गुनी मात्रा में आप तिल का तेल और तेल से चार गुनी मात्रा में पानी लेकर मिलाकर एक बड़े बरतन में डाल दें। इसे मंदी आंच पर इतनी देर तक उबालें कि पानी जल जाए सिर्फ तेल बचे। इस तेल को शीशी में भरकर रख लें।
जहाँ भी खुजली चलती हो, दाद हो वहाँ या पूरे शरीर पर इस तेल की मलिश करें। यह तेल चमत्कारी प्रभाव करता है। लाभ होने तक यह मालिश जारी रखें, मालिश स्नान से पहले या सोते समय करें और चमत्कार देखें।
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खून की खराबी के कारण खुजली हो जाती है| यह रोग अधिक खतरनाक नहीं है| लेकिन यदि असावधानी बरती जाती है तो यह रोग जटिल बन जाता है| इसलिए रोगी को खाने-पीने के मामले में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए| जहां तक हो सके, बाजार के खुले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए|
यदि रोग बड़े पैमाने पर हो तो नमक और नमकीन चीजों को खाना बंद कर दें| इसके साथ-साथ इमली, अचार, नीबू, टमाटर, तेल, लाल मिर्च, चाय आदि का सेवन त्याग देना चाहिए|
यह एक संक्रामक रोग है| यदि घर में किसी एक व्यक्ति को खुजली हो जाती है तो यह धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्यों को घेर लेती है|
यह गरम चीजें खाने, छूने, श्वास के साथ जीवाणु फैलने, गलत इंजेक्शन लगवाने, शराब पीने, गुटका या पान-तम्बाकू खाने आदि के कारण हो जाती है|
त्वचा पर लाल रंग के चित्तीदार दाने निकल आते हैं| इनमें बहुत अधिक खुजली होती है| रोगी उसे खुजाते-खुजाते दु:खी हो जाता है| खुजली में जलन होती है तथा धीरे-धीरे लाल ददोरे पड़ जाते हैं|
कई बार खुजाते हुए ददोरे छिल जाते हैं और उनमें से खून निकल आता है| पक जाने पर पतला पानी-सा पीव रिसने लगता है|
रात को तांबे के बरतन में थोड़ा-सा दही रख दें| सुबह दही का रंग कुछ नीला पड़ जाएगा| इस दही को उसी बरतन में कुछ देर तक फेंटे| फिर इस मलहम को खुजली वाले स्थान पर लगाएं|
सुबह कुछ दिनों तक एक चम्मच नीम की पत्तियों का रस पिएं| नीम की पत्तियों को पीसकर दही में मिलाकर खुजली वाले स्थान पर प्रतिदिन लगाएं|
250 ग्राम तिली के तेल में 50 ग्राम दूब का रस मिलाकर कुछ देर तक आग पर पकाएं| ठंडा होने पर छानकर शीशी में भर लें| इस तेल को खुजली वाले चर्म पर लगाने से 5-6 दिनों में खुजली जाती रहती है|
रोज सुबह सात-आठ दिनों तक चार-पांच नीम की कोंपलें चबाकर खा जाएं| ऊपर से ताजा पानी पी लें|
दो चम्मच तुलसी के पत्तों का रस तथा दो चम्मच नीबू का रस आपस में मिला लें| फिर इसे रुई के फाहे से लगाएं|
गरम पानी में थोड़ी-सी अजवायन चटनी की तरह पीस लें| फिर इसे खुजली पर लगाएं|
जीरे को कपड़छन चूर्ण पानी में गाढ़ा-गाढ़ा घोलकर खुजली वाली जगह पर लगाएं|
250 ग्राम तिली या सरसों के तेल में चार-पांच चम्मच दूब का रस तथा 100 ग्राम पिसी हुई हल्दी मिला लें|
अब इसको लोहे को कड़ाही में पकाएं| थोड़ी देर बाद इस तेल को छानकर बोतल में भर लें| नित्य दिन में तीन बार रुई के फाहे से इस तेल को लगाएं|
आधे नीबू पर थोड़ी-सी पिसी हुई फिटकिरी बुरककर खुजली वाले स्थान पर अच्छी तरह लगाएं| नारियल के एक गुने तेल में दो गुना टमाटर का रस मिलाकर लगाएं|
100 ग्राम तिली के तेल में 100 ग्राम बथुए का रस मिलाकर आग पर पका लें| फिर छानकर शीशी में भर लें| इस तेल को नित्य लगाएं|
क्या खाएं क्या नहीं:-
खुजली हो जाने पर नमक बंद कर देना चाहिए| इसके साथ-साथ खटाई, तेल, मिर्च-मसाले, समोसे, कचौड़ी, परांठे, अरहर की दाल, घुइयां, चावल, चाय, कॉफी, शराब, अंडा, मीट आदि त्याग देना चाहिए|
इन सबकी जगह दूध, दही, घी, मक्खन, मट्ठा, हरी सब्जियां, खीरा, पपीता, अमरूद, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, सेब, अनार, चीकू आदि का प्रयोग करना चाहिए|
यदि नमक खाने की इच्छा हो तो सब्जी में सेंधा नमक बहुत कम मात्रा में डालकर सेवन करें| आंवले का मुरब्बा खुजली में बहुत लाभकारी है| अत: गरमियों के दिनों में इसका भी सेवन करें|
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