सर्वाईकल के लक्षण, कारण, घरेलू इलाज और इसमें बरते जाने वाली सावधानियां
गर्दन में स्थित रीढ़ की हड्डियों में लंबे समय तक कड़ापन रहने, उनके जोड़ों में घिसावट होने या उनकी नसों के दबने के कारण बेहद तकलीफ होती है। इस बीमारी को सर्वाईकल स्पौण्डिलाइटिस कहा जाता है। दूसरे नाम सर्वाइकल ऑस्टियोआर्थराइटिस, नेक आर्थराइटिस और क्रॉनिक नेक पेन के नाम से जाना जाता है। इसमें गर्दन एवं कंधों में दर्द तथा जकड़न के साथ-साथ सिर में पीड़ा तथा तनाव बना रहता है।
आधुनिक चिकित्सा में सर्वाइकल स्पौण्डिलाइटिस का इलाज फिजियोथेरेपी तथा दर्द निवारक गोलियां हैं। इनसे तात्कालिक आराम तो मिल जाता है, किंतु यह केवल अस्थायी उपचार है। योग ही इस समस्या का स्थाई समाधान है, क्योंकि यह इस बीमारी को जड़ से ठीक कर देता है। लेकिन जब रोगी को चलने-फिरने में दिक्कत आने लगे तो दवाएं, फिजियोथेरेपी तथा आराम ही करना चाहिए। ऐसी स्थिति में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्थिति रोग की गंभीर स्थिति होती है। आराम आते ही इससे पूरी तरह मुक्ति के लिए किसी कुशल मार्गदर्शक की निगरानी में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास प्रारम्भ कर देना चाहिए।
सर्वाइकल स्पॉन्डलाइटिस के लक्षण –
कई बार गर्दन का दर्द हल्के से लेकर ज्यादा हो सकता है। ऐसा अक्सर ऊपर या नीचे अधिक बार देखने के कारण या गाड़ी चलाने, किताबें पढ़ने के कारण यह दर्द हो सकता है।
रीढ़ की हड्डी में कोई चोट आने पर या अकस्मात् कोई वजन आ जाने पर इसका बढ़ा हुआ भयंकर रूप भी देखने को मिलता हैं।
गर्दन में दर्द और गर्दन में कड़ापन स्थिति को गम्भीर करने वाले मुख्य लक्षण है।
सिर का दर्द, मुख्य रूप से पीछे का दर्द इसका लक्षण है।
गर्दन को हिलाने पर प्राय:गर्दन में पिसने जैसी आवाज़ का आना।
हाथ, भुजा और उंगलियों में कमजोरियां या सुन्नता।
व्यक्ति को हाथ और पैरों में कमजोरी के कारण चलने में समस्या होना और अपना संतुलन खो देना।
गर्दन और कंधों पर अकड़न या अंगसंकोच होना।
रात में या खड़े होने के बाद या बैठने के बाद, खांसते, छींकते या हंसते समय और कुछ दूर चलने के बाद या जब आप गर्दन को पीछे की तरफ मोड़ते हैं तो दर्द में वृद्धि हो जाना।
तो जानिए सर्वाइकल के घरेलू इलाज
धतूरे के बीज 10 ग्राम + रेवंदचीनी 8 ग्राम + सोंठ 7 ग्राम+ गर्म तवे पर फ़ुलाई हुई सफ़ेद फिटकरी 6 ग्राम + इसी तरह फ़ुलाया हुआ सुहागा 6 ग्राम + बबूल का गोंद6 ग्राम इन सब औषधियों को बारीक पीस लें और धतूरे के पत्तों के रस से गीला करके उड़द के दाने के (125मिलीग्राम यानी एक रत्ती ) बराबर गोलियां बना लें। इस गोली को दिन में केवल एक बार गर्म पानी से दोपहर का भोजन करने के बाद ही लेना चाहिए।
चूना : –
चूना जो पान में खाते हैं, अगर आपको पत्थरी की समस्या नहीं है तो चूना एक बहुत बढ़िया औषिधि हैं सर्वाइकल के लिए, गेंहू के दाने सामान चूना पानी में, जूस में, या दही में मिला कर खाए।
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विजयसार का चूर्ण :-
विजयसार का चूर्ण एक बहुत बढ़िया औषिधि हैं, किसी भी प्रकार के हड्डियों के सम्बंधित रोग के लिए। 1 चम्मच विजयसार का चूर्ण शाम को एक गिलास पानी में भिगो कर रख दे, इसको सुबह 15 घंटे के बाद कपडे से छान कर अच्छी तरह निचोड़ कर घूँट घूँट कर पिए। कैसा भी कोई दर्द हैं, 1 महीने से 3 महीने के अंदर सही होगा, इसके साथ में इस से आप को अगर मधुमेह रोग भी हैं तो उसके लिए भी ये रामबाण हैं। Cervical ka ayurvedic ilaj
लहसुन
4 लहसुन 1 गिलास दूध में उबाले, सोते समय पीजिये।
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गाय के घी
रात को सोते समय दोनों नाक में 5-5 बूंदे गाय के घी की डाले।
महामाष तेल की तीन-तीन बूंदे दोनो कानों व नाक में सुबह-शाम डालना भी लाभकारी होता है
आभादि गुग्गुल की एक एक गोली महारास्नादि काढ़े के साथ दस से पंद्रह मिली की मात्रा में खाली पेट लेना भी लाभदायक होता है। ये तो कुछ अनुभूत योग हैं इसके अलावा पंचकर्म चिकित्सा भी सरवाईकल स्पोंडीलाईटीस के रोगियों में काफी कारगर होती है।
सर्वाइकल के लिए योगासन
सूर्य नमस्कार :- सूर्य नमस्कार सर्वाइकल के लिए रामबाण योग मुद्रा हैं। हर रोज़ सुबह नित्य कर्म से निर्व्रत हो कर इसको १० से १५ बार दोहराये।
प्राणायाम:-
रोग की गंभीर स्थिति में झटके वाले किसी भी प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस रोग में नाड़ियों को शांत तथा स्थिर करने के लिए नाड़ीशोधन अनुलोम विलोम, उज्जायी एवं भ्रामरी प्राणायाम बहुत लाभकारी है।
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भ्रामरी :-
भ्रामरी में सीधे बैठ कर, अपने दोनों अंगूठो से दोनों कानो को बंद कर ले, ऊपर की दोनों उंगलियो को माथे पर सीधे रखे, और बाकी तीनो उंगलियो को हलके हाथ से आँखों और नाक के बीच वाले स्थान पर रखे। और फिर पूरा श्वांस भर ले और ओम कहते हुए पूरा श्वांस धीरे धीरे बाहर निकाले।
इन बातों का भी रखें ध्यान
पीठ के बल बिना तकिया के सोयें। पेट के बल न सोयें। कड़े बिछावन पर सोना चाहिए ताकि रीढ़ की हड्डी ठीक रहे।
वजन नहीं उठाना चाहिए और न ही सिर झुकाकर काम करना चाहिए।
ठण्डे और गर्म पैक से चिकित्सा दर्द में कमी लयेगा। पानी का ठण्डा पैकेट दर्द करने वाले क्षेत्र पर रखें। और फिर पानी का गर्म पैकेट दर्द करने वाले क्षेत्र पर रखें।
आपका डॉक्टर किसी फिज़ियोथेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकता है। यह भौतिक उपचार आपके दर्द में कमी लायेगा।
आप किसी मसाज़ चिकित्सक से भी मिला सकते हैं जो एक्यूपंक्चर और कशेरुका को सही करने का जानकार हो। कुछ ही बार इसका प्रयोग आपको आराम पहुंचायेगा।
सर्वाइकल में गर्दन की नसों को मजबूत करने के लिये गर्दन का व्यायाम करें।
अपनी गाड़ी को सड़क पर मिलने वाले गड्ढ़ों पर न चलायें। यह दर्द को बढ़ा देगा।
कम्प्यूटर पर अधिक देर तक न बैठें। और बीच बीच में पैरो के पंजो पर खड़े हो कर दोनों हाथो को आपस में मिला कर ऊपर आकाश की तरह धकेले। कंधो को और गर्दन को थोड़ा हिला ले।
विटामिन बी और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करें। बादाम, पिस्ता और अखरोट में विटामिन इ और बी – 1, बी – 6, और बी – 9 के साथ प्रोटीन और मैग्नीशियम पाया जाता हैं, दूध, गाजर, स्ट्रॉबेरी, केला, पत्ता गोभी, प्याज, इनको भी अपने भोजन में स्थान दे।
विनम्र विनती :
हम चाहते हैं कि हर भारतीय अंग्रेजी दवाओं की बजाय घरेलु नुस्खों और आयुर्वेद को ज्यादा अपनाये.
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